तुलसी का पौधा किस दिन उखाड़ना चाहिए

धर्म और संस्कृति की विशेषता है कि हमारे देश में विभिन्न पौधे मान्यताओं और धार्मिक आदर्शों से जुड़े हुए हैं। यहां तक कि हमारे देश में पौधों को भी भगवान का अवतार माना जाता है। इसलिए, भारतीय संस्कृति में तुलसी का पौधा एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इस लेख में हम जानेंगे कि तुलसी का पौधा किस दिन उखाड़ना चाहिए और इसके पीछे का कारण क्या है।

तुलसी का महत्व

तुलसी, जिसे बोतानी में Ocimum tenuiflorum के नाम से जाना जाता है, हिन्दू धर्म में एक पवित्र पौधा माना जाता है। यह एक मान्यता है कि भगवान विष्णु की विशेष प्रीति तुलसी के प्रति होती है और उनके घर में तुलसी का पौधा होने से सभी प्रकार की दुर्घटनाएं और पाप का क्षय होता है। तुलसी को धार्मिक आदर्शों, पूजा-अर्चना और आयुर्वेदिक औषधि में व्यापक रूप से प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा, तुलसी के पत्तों, बीजों और तने की वनस्पतिकीय गुणों को स्वास्थ्य लाभ के लिए भी मान्यता प्राप्त है।

तुलसी का पौधा उखाड़ने का समय

तुलसी के पौधे को उखाड़ने का समय विशेष महत्व रखता है। हिन्दू विधि-विधान में इसके लिए कुछ नियम बनाए गए हैं। आमतौर पर, तुलसी का पौधा उखाड़ने का समय बारिश रुकने के बाद का दिन माना जाता है। यह मान्यता है कि वर्षा के दिनों में तुलसी का पौधा बहुत ज्यादा प्रभावशाली होता है और इस समय पौधा को उखाड़ने से लाभ की प्राप्ति होती है। इसलिए, इस प्रकार के मौसम में तुलसी का पौधा उखाड़ने का समय अधिकांशतः मान्यता से निर्धारित किया जाता है।

उखाड़ने की विधि

तुलसी के पौधे को उखाड़ने के लिए विशेष विधि का पालन किया जाता है। यह एक पवित्र क्रिया मानी जाती है और इसे ध्यानपूर्वक और सम्मानपूर्वक किया जाना चाहिए। निम्नलिखित विधि का पालन करके आप तुलसी के पौधे को सफलतापूर्वक उखाड़ सकते हैं:

  1. सबसे पहले, एक पात्र में पानी भरें और इसे पूजा के लिए स्नान कराएं।
  2. अब, तुलसी के पौधे के समीप जाएं और ध्यान लगाएं।
  3. मन में भगवान विष्णु और माता तुलसी के प्रति श्रद्धा और आदर्श के साथ मंत्र जाप करें।
  4. तुलसी के पौधे के नीचे धूप दें और अगरबत्ती जलाएं।
  5. एक कटोरी में गंगाजल लें और उसमें अपने हाथों से तुलसी के पौधे को स्पर्श करें। इसे पूरी श्रद्धा और आदर के साथ करें।
  6. अब, ध्यानपूर्वक तुलसी के पौधे को उखाड़ें। इसे सुन्दर और स्वच्छ जगह पर रखें जहां आप इसे पुनः लगा सकते हैं।

घर में तुलसी का पौधा सूख जाए तो क्या करना चाहिए?

  1. पानी दें: सबसे पहले, सुबह-शाम तुलसी के पौधे को पानी दें। सुर्खियों और पत्तियों को सूखने से बचाने के लिए यह जरूरी है।
  2. धूप में रखें: तुलसी को सूर्य की किरणों में रखने से उसके स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है। इसलिए, जहां भी संभव हो, आप उसे धूप में रख सकते हैं।
  3. पौधे को प्रशामक करें: तुलसी के पौधे को प्रशामक से छिड़काव करके उसके पत्तों को उजला और स्वस्थ रखा जा सकता है। प्रशामक में दो-तीन बूंदे पानी मिलाएं और इसे पौधे के चारों ओर स्प्रे करें।
  4. उर्वरक दें: तुलसी के पौधे को नियमित अंतराल पर जीवाश्मक उर्वरक देने से उसका स्वास्थ्य बना रहता है। आप इसके लिए घरेलू उर्वरक या विषाणुविरोधी उर्वरक का उपयोग कर सकते हैं।
  5. रोगों का संभालना: तुलसी पौधे को संभालने के लिए नियमित जांच और रोग प्रतिरोधी उपायों का उपयोग करें। यदि आपको किसी रोग के लक्षण दिखाई दें, तो उपचार करें और पौधे को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक कदम उठाएं।
  6. बचाव के उपाय: तुलसी के पौधे को ठंड, बारिश और अत्यधिक गर्मी से बचाएं। इसके लिए, आप उसे सुरक्षा के लिए उचित स्थान पर रख सकते हैं और जरूरत के अनुसार उसे पर्याप्त पानी दें।

तुलसी के पौधे को सूखने से बचाने के लिए उपरोक्त निर्देशों का पालन करें। अगर इन उपायों के बावजूद भी पौधा सुख जाए, तो आप नए तुलसी के पौधे को लगा सकते हैं और उसे स्वस्थ रखने के लिए संबंधित निर्देशों का पालन कर सकते हैं।

सूखी तुलसी की लकड़ी क्या काम आती है?

सूखी तुलसी की लकड़ी वास्तु शास्त्र में महत्वपूर्ण मानी जाती है और इसका उपयोग विभिन्न कार्यों में किया जाता है। निम्नलिखित हैं सूखी तुलसी की लकड़ी के कुछ महत्वपूर्ण काम:

  1. धार्मिक उपयोग: सूखी तुलसी की लकड़ी को पूजा और धार्मिक कार्यों में उपयोग किया जाता है। यह पूजा के दौरान उपयोग किया जाता है और धार्मिक आयोजनों में स्थानांतरित किया जाता है।
  2. आर्थिक उपयोग: सूखी तुलसी की लकड़ी को धन और समृद्धि के प्रतीक के रूप में भी मान्यता प्राप्त है। इसे घर या व्यापार स्थान में रखने से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और धन की वृद्धि होती है।
  3. उपचारिक उपयोग: सूखी तुलसी की लकड़ी को आयुर्वेदिक चिकित्सा में भी उपयोग किया जाता है। इसकी धूप, अश्वगंधा और गुग्गुल के साथ मिश्रण बनाकर उसे धूप के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसे श्वसन संबंधी समस्याओं, सर्दी, खांसी और बुखार के उपचार में भी इस्तेमाल किया जाता है।
  4. रोगनिवारक उपयोग: सूखी तुलसी की लकड़ी को आपातकालीन चिकित्सा में भी इस्तेमाल किया जाता है। इसे खांसी, सर्दी जुकाम, बुखार और अन्य रोगों के लिए दवा के रूप में प्रयोग किया जाता है।
  5. नकारात्मक ऊर्जा निवारण: सूखी तुलसी की लकड़ी को घर या कार्यालय में रखने से नकारात्मक ऊर्जा का निवारण होता है। इसे ऊर्जा बाधाओं से मुक्त करने के लिए प्रयोग किया जाता है।

सूखी तुलसी की लकड़ी विभिन्न कामों में उपयोगी होती है और धार्मिक, आर्थिक, उपचारिक और नकारात्मक ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

सूखी तुलसी कितने समय तक चलती है?

सूखी तुलसी की लम्बाई और तारीख संबंधी अनुमानित जानकारी के अनुसार, सूखी तुलसी की जीवदयित्व अवधि कुछ महीनों तक चलती है। यह अवधि विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है जैसे कि तुलसी के पौधे की विशेषताएं, उद्भिद्यमान जगह की परिस्थितियाँ और उसे संभालने का तरीका।

सामान्यतः, सूखी तुलसी की लकड़ी आपके बाल्कनी, गार्डन या घर के किसी सुरम्य स्थान पर उचित रखेंगे तो यह कुछ महीनों तक अच्छी स्थिति में रह सकती है। इसके बाद, समय के साथ यह धीरे-धीरे पत्तों को गिराने लगती है और आखिरकार खंडहरी हो जाती है।

इसलिए, तुलसी की सूखी लकड़ी को नियमित देखभाल और आवश्यक संरचनाओं के साथ रखने पर इसकी जीवदयित्व अवधि बढ़ सकती है। आप इसे सूखी होने से बचाने के लिए उपरोक्त दिशानिर्देशों का पालन करें और स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक उपाय अपनाएं।

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